

नींद हमारे स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, फिर भी भारत में कई लोग इसकी महत्ता को कम आंकते हैं और औसतन केवल 4-5 घंटे सोते हैं। इस नींद की कमी से केवल एक सप्ताह में मस्तिष्क के कार्यों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। पर्याप्त विश्राम की कमी से याददाश्त, निर्णय लेने की क्षमता और चिड़चिड़ापन प्रभावित होते हैं, जो व्यक्तिगत संबंधों और उत्पादकता को खतरे में डालते हैं। इसके अलावा, लगातार नींद की कमी से संज्ञानात्मक गिरावट और अल्जाइमर जैसी स्थितियाँ हो सकती हैं। पर्याप्त नींद को प्राथमिकता देना आवश्यक है।