

भारतीय तेल कंपनियाँ रुसी परियोजनाओं से मिले अपने लाभांश में 1.4 अरब डॉलर के फंसने की चुनौती का सामना कर रही हैं। यूक्रेन संघर्ष के बाद से भुगतान प्रतिबंधों के कारण इन कंपनियों के फंड मास्को के बैंकों में फँसे हुए हैं। ओएनजीसी विदेश और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन जैसी कंपनियों के बीच इस मुद्दे पर चर्चा के बावजूद, पश्चिमी प्रतिबंध स्थिति को जटिल बना रहे हैं। इन कंपनियों के पास सीमित विकल्प हैं, और वे फंड का उपयोग करने के तरीकों का पता लगाने की कोशिश कर रही हैं।