
Sam Altman's Sleep Struggles: The Weight of AI Decisions
OpenAI के CEO सैम आल्टमैन ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा कि चैटजीपीटी के लॉन्च के बाद से उन्हें नींद नहीं आ रही है। उनका मानना है कि AI की शक्ति और प्रभाव बहुत बड़े हैं, और इसके छोटे-छोटे निर्णय भी करोड़ों लोगों के जीवन को प्रभावित कर सकते हैं। आल्टमैन ने यह चिंता व्यक्त की कि कैसे AI के उत्तरों के बारे में साधारण निर्णय विश्वभर में सोच और क्रियाओं को बदल सकते हैं।
उन्होंने एक उदाहरण दिया कि आत्महत्या रोकने के मामले में AI का क्या प्रभाव हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हर साल लगभग 720,000 लोग आत्महत्या करते हैं। आल्टमैन ने कहा कि अगर इनमें से 10% लोग चैटजीपीटी का उपयोग करते हैं, तो यह हर सप्ताह करीब 1,500 ऐसे उपयोगकर्ता हो सकते हैं जिन्हें सिस्टम से बात करने के बाद भी अपनी जान लेने का निर्णय लेना पड़ता है। इसीलिए, उन्हें चिंता है कि "शायद हम कुछ बेहतर कह सकते थे।"
आल्टमैन ने यह भी बताया कि OpenAI को एक मुकदमे में नामित किया गया है, जहां माता-पिता चैटजीपीटी पर अपने किशोर बेटे की आत्महत्या को बढ़ावा देने का आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने इसे एक "अवसाद" कहा और संकेत दिया कि OpenAI अब इस बारे में अध्ययन कर रहा है कि कैसे प्लेटफॉर्म को उन मामलों में अधिकारियों से संपर्क करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है, जब कोई नाबालिग आत्महत्या की बात करता है।
उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों के रिपोर्टिंग में गोपनीयता के मुद्दे भी उठते हैं। आल्टमैन ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन देशों में सहायक आत्महत्या कानूनी है, वहां चैटजीपीटी ऐसे विकल्पों के बारे में जानकारी दे सकता है। लेकिन, उन्होंने जोर देकर कहा कि मॉडल को कभी भी किसी एजेंडे को आगे बढ़ाने या मूल्यांकन करने से बचना चाहिए।
आल्टमैन का यह भी कहना था कि यह बदलाव सूक्ष्म हैं, लेकिन फिर भी महत्वपूर्ण हैं, और यही वजह है कि उन्हें रात में नींद नहीं आती। उन्होंने बताया कि AI की लेखन शैलियाँ भी मानव लेखन पर प्रभाव डाल रही हैं। उन्होंने कहा कि यह सूक्ष्म बदलाव, न कि किसी भयावह रोबोट परिदृश्य की चिंता, उन्हें सबसे अधिक परेशान करती है।